मुंबई : बंबईउच्च न्यायालय ने 2008 मालेगांव विस्फोट मामले की मुख्यआरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंहठाकुर को जमानत दे दी है. अदालत ने जमानत की अर्जीमंजूर करने के साथही साध्वी प्रज्ञा ठाकुरको पांच लाख रुपयेका मुचलका भरने का भी आदेशदिया है. इसके साथही, अदालत ने इतनीही राशि की दो अलग–अलगजमानती राशि जमा कराने, एनआईए के पास पासपोर्ट जमा कराने और अदालतमें सुनवाई के दौरानउपस्थित रहने का भी आदेशदिया है. बीते 20 फरवरी को बंबई हाईकोर्ट ने मालेगांव2008 बम विस्फोट मामले की मुख्य आरोपी साधु प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके साथ ही, अदालत ने उस समय मामले की सुनवाई स्थगित किये जाने के आदेश जारी किया था.
सुनवाई के दौरान मुंबई हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ न्यायमूर्ति मोरे और न्यायमूर्ति फांसिलकर जोशी के समक्ष पीड़ितों के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता बीए देसाई ने अदालत को बताया था कि अतिरिक्त जांच के नाम पर एनआइए ने मामले के आरोपी को लाभ पहुंचाने के लिए फिर से जांच की और इन सरकारी गवाहों के बयानों को दोबारा दर्ज किया, जबकि एटीएस ने पहले ही बयान दर्ज कर लिया था.
इसके पहलेख् इसी साल की फरवरी में मध्यप्रदेश के देवास की स्थानीय अदालत ने आरएसएस के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी आठ आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. साध्वी को बरी करते हुए अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि पुलिस और एनआईए दोनों ने किसी पूर्वाग्रह या अज्ञात कारण से प्रकरण में लचर अनुसंधान किया.
जोशी की 29 दिसंबर, 2007 को देवास के औद्योगिक पुलिस थाना इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. कोर्ट ने जोशी हत्याकांड में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, रामचरन पटेल, आनंदराज कटारिया, लोकेश शर्मा, राजेन्द्र चौधरी और जितेंद्र शर्मा सहित सभी आठ आरोपियों को यह कहकर बरी कर दिया था कि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
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29 सितंबर 2008 को मालेगांव में धमाका हुआ जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी और 79 घायल हुए थे।
इस धमाके की जांच महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी गई। एटीएस ने साध्वी पर धमाकों की साजिश रचने का आरोप लगाया।
20 जनवरी 2009 और 21 अप्रैल 2011 को महाराष्ट्र एटीएस ने मुंबई की विशेष मकोका अदालत में 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
गृह मंत्रालय के निर्देशों पर 13 अप्रैल 2011 को यह मामला महाराष्ट्र एटीएस से एनआईए को सौंप दिया गया।
13 मई 2016 को एनआईए ने सबूतों के अभाव मे अपनी चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए।
28 जून 2016 को विशेष एनआईए कोर्ट ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। जबकि इससे एक महीने पहले ही जांच एजेंसी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
25 अप्रैल 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को सशर्त जमानत दे दी।