12 को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
शाम – 6.30 से 8.30 बजे
भद्रा पुंछ – 4.10 से 5.25 बजे
भद्रा मुख – 5.25 से 7.25 बजे
महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला के अनुसार हिन्दू धर्म में मान्यता है कि भक्त प्रहलाद को उसके पिता हिरण्यकश्यप ने होलिका की गोद में बिठाकर जलाने से पूर्व अनेक यातनाएं दीं थी। आठ दिनों तक दी गई यातना के काल को होलाष्टक कहा जाता है।
इस काल में किसी भी प्रकार के शुभ संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता। शास्त्रों में मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान किए जाने वाले शुभ कार्यों का उचित फल नहीं मिलता। इस बार होलाष्टक 5 मार्च से शुरू होकर 12 मार्च होलिका दहन तक रहेगा। चूंकि 12 मार्च को रात 9 बजे तक ही पूर्णिमा तिथि है इसलिए इससे पूर्व ही होलिका दहन किया जाना सर्वोत्तम है। अगले दिन 13 मार्च को होली (धुलेण्डी) मनाई जाएगी।