आजमगढ़. यूपी में सीएम के प्रबल दावेदार माने जा रहे योगी आदित्यनाथ का आजमगढ़ से गहरा नाता रहा है। यहीं नहीं यहां के छोटे-छोटे मामलों में इनका हस्तक्षेप रहा है। चाहे वह दो दशक पूर्व पुजारी हत्याकांड रहा हो या फिर 2003 में शिब्ली कालेज के छात्र नेता की हत्या योगी हमेशा ही न्याय की लड़ाई में अगली पंक्ति में खड़े नजर आये। वर्ष 2008 में योगी पर शहर में जानलेवा हमला भी हुआ लेकिन वे डटे रहे। उनके रेस में आगे निकलने से समर्थक जहां फूले नहीं समां रहे हैं वहीं एक तबका ऐसा भी है जो इनके सीएम की कुर्सी पर बैठने को लेकर चिंतित भी है।
योगी पहली बार वर्ष 1989-90 में पहली बार योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ के चितारा महमूदपुर पहुंचे थे। यहां एक पुजारी की हत्या के बाद योगी ने उनके लोगों को न्याय दिलाने के लिए प्रशासन से लोहा लिया। इसके बाद वर्ष 2003 में शिब्ली कालेज के छात्र संघ चुनाव के दौरान छात्र नेता अजीत की हत्या कर दी गयी थी। उस समय भी योगी आदित्यनाथ अजीत के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए आजमगढ़ पहुंचे थे। यह अलग बात है कि उस समय तत्कालीन डीएम और एसपी ने उन्हें शहर में नहीं आने दिया था न्याय का भरोसा देकर बाईपास से ही लौटा दिए थे।
इसके बाद 7 सितंबर 2008 को योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ के डीएवी मैदान में एक सभा को संबोंधित करने आ रहे थे कि शहर कोतवाली क्षेत्र के तकिया मोहल्ले में उनपर जानलेवा हमला हुआ था। इस दौरान योगी समर्थकों द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में मनीउल्लाह नामक 18 वर्षीय युवक की मौत हो गयी थी। इस मामले में योगी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। इस घटना ने जिले में दंगे का रूप ले लिया था। जीयनपुर मठधीस सहित कई लोगों पर हमला हुआ तो कई स्थानों पर तोड़फोड भी हुई थी। लापरवाही में एसपी विजय गर्ग को निलंबित किया गया था।