आज के समय पुरुषों के बीच शेविंग और महिलाओं के बीच वैक्सिंग कोई नई और चौंकाने वाली बात नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं लोगों के बीच आम हुए इस ट्रेंड की शुरुआत कहां से हुई। वैक्सिंग का इतिहास तो बड़ा ही दिलचस्प है। हालांकि आज वैक्सिंग के तरीके आज हमारे लिए नाॅर्मल है ये नए जमाने के है लेकिन पुराने ज़माने में न तो वैक्स होता था और न ही वैक्सिंग स्ट्रिप नहीं थी।
आइए जानते हैं वैक्सिंग और शेविंग का दिलचस्प इतिहास
– पाषाण काल में पुरुष और महिलाएं अपने सिर के और शरीर के सारे बाल हटाते थे। इसकी मुख्य वजह युद्ध थी। युद्ध में अपने दुश्मन की पकड़ से बचने के लिए उस काल के मानव क्लीन शेव रहते थे। इस युग में लोग धारदार औजारों से शरीर के बाल हटाते थे।
– मिस्त्र में सुंदरता का पैमाना था हेयरलेस बाॅडी। मिस्त्र के लोग अपनी आइब्रोज शेव नहीं करते थे। वहां के लोगों ने हेयर रिमूविंग के लिए कई तकनीकें विकसित की। वे शेविंग के लिए वैक्स से लेकर रेजर तक का इस्तेमाल करते थे।
अनोखी शादीः हथकड़ी लगाए आया दूल्हा, शादी कर लौटा जेल
– हेयर रिमूवल को लेकर ग्रीस से असमानता शुरू हुई। पुरुषों को ये छूट दी गई कि वे अपनी इच्छा अनुसार शरीर के बाल रख सकते थे, या हटा सकते थे लेकिन ऊंचे घर की महिलाओं का पूरे शरीर के बाल हटाना अनिवार्य था।
– महारानी एलिजाबेथ 1 ने आइब्रोज सेट करवाने और चेहरे को हेयर फ्री रखने का ट्रेंड शुरू किया था।
– 17वीं और 18वीं शताब्दी में स्ट्रेट रेजर का आविष्कार किया गया। इसका उपयोग पुरुष शेविंग के लिए करते थे। इस समय औरतों को अपने शरीर के साथ अपनी इच्छानुसार व्यवहार करने की आजादी थी।
– 20वीं शताब्दी के शुरू होते ही स्लीवलेस ड्रेसेस फैशन में आ गई और अंडर आर्म शेव करना जरूरी हो गया।
– दूसरे विश्व यूद्ध के समय नायलाॅन की जरूरत बढ़ गई थी इसलिए महिलाओं को स्टाॅकिंग्स पहनना बंद करना पड़ा। इसके चलते ही पैरों की वैक्सिंग की शुरुआत हुई।
– 1980 और 1990 के दशक में बिकनी के बढ़ते चलन के बाद पब्लिक हेयर हटाने के ट्रेंड ने भी जोर पकड़ा।