कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक स्थानीय युवक को जीप पर बांधकर मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले सेना के मेजर नितिन गोगोई पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने बताया कि असल में नौ अप्रैल को हुआ क्या था।
मेजर नितिन गोगोई ने बताया कि मुझे जानकारी मिली की 1200 लोगों ने मतदान केन्द्र को घेर लिया है और वे लोग मतदान केन्द्र को आग के हवाले करने वाले थे। उन्होंने बताया कि यह कॉल मुझे 10 बजे आई थी। मैं पोलिंग स्टेशन से 1.5 किलोमीटर दूर था।
गोगोई ने बताया कि उसके बाद मैं मतदान केन्द्र पहुंचा तो देखा कि महिला और बच्चे पत्थरबाजी में शामिल थे। कुछ लोग छत से सेना की टीम पर पत्थबाजी कर रहे थे। इसके बाद मैंने पत्थरबाजी करने वाले फारुख अहमद डार को पकड़ा।
मैंने अपनी टीम के साथियों के साथ मतदान केन्द्र पहुंचा और वहां चार पोलिंग स्टॉफ, आईटीबीपी के जवान और एक कश्मीर पुलिस के जवान की जान बचाई। इसके लिए डार को सेना की जीप के आगे बांधना पड़ा।
गौरतलब है कि सेना प्रमुख बिपिन रावत ने गोगोई को आतंकवाद निरोधी कार्रवाई के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) कॉमन्डेशन से नवाजा है। सेना ने गोगोई की आलोचनाओं को धता बताते हुए उन्हें इस सम्मान से नवाजा है। एक जवान से आर्मी सर्विस कॉर्प में मेजर के पद तक पहुंचने वाले गोगोई की एक युवक को जीप पर बांधकर मानव ढाल बनाने की घटना की काफी आलोचना हुई थी। गोगोई पर मानवाधिकार और जिनीवा समझौते के उल्लंघन का आरोप लगे थे।