मुंबई : आज निर्भया कांड पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. इस मामले के सभी आरोपियों की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए अपना फैसला सुनाया है. इस घटना को भले ही पांच साल हो गए हैं. लेकिन इस बीच बॉलीवुड ने कई ऐसी फिल्में बनाई हैं, जो महिला सुरक्षा के मुद्दे पर बनी हैं.
साल 2012 में हुई गैंगरेप की इस घटना के बाद पूरे देश में शोक के साथ गुस्से का उबाल था. लोग करोड़ों की संख्या में निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए सड़कों पर उतरे थे. गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी.
मायानगरी में इन फिल्मों के जरिए निर्भया की चीख को लोगों के बीच चिंगारी की तरह जलाए रखा.
मातृरवीना टंडन की ‘मातृ’ का डायरेक्शन अश्तर सैय्यद ने किया है. इस फिल्म से उन्होंने डेब्यू किया है. इस फिल्म को माइकल पेलिको ने लिखा है. इस फिल्म को सेंसर बोर्ड शुरुआत में सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था और यह फिल्म बैन हो गई थी. जिसके बाद इसे फिल्म बोर्ड की रिविजन कमेटी के पास पुनर्विचार के लिए भेजी गई थी, जहां से इसे हरी झंडी मिली.
‘मातृ’ एक मां के बदले की कहानी है, जिसकी बेटी का बलात्कार उसकी आंखों के सामने हो जाता है. जिसके बाद वह पारिवारिक समस्याओं से जूझती हुई और सिस्टम से लोहा लेते हुए एक मां किस तरह सत्ता में बैठे लोगों को मिट्टी में मिला देती है.
पिंक
साल 2016 में आई इस फिल्म ने लोगों के बीच अपनी खास जगह बनाई है. इस फिल्म में महिलाओं के कपड़ों को उनके साथ रेप और छेड़छाड़ के लिए जिम्मेदार बताने वाली मानसिकता पर चोट की है. इस फिल्म को इस साल के नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में सामाजिक मुद्दे पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में चुना गया. यह फिल्म तीन मॉर्डन लड़कियों की कहानी है, जिनके साथ उनके जानकार कुछ लड़के जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं और अदालत के सामने इसके लिए इनके रहन-सहन को जिम्मेदार बताया जाता है.
इंडियाज डॉटर- बीबीसी डॉक्यूमेंट्रीयह फिल्म साल 2015 में आई थी. इसे भारत के अलावा दुनियाभर में 4 मार्च 2015 को रिलीज़ किया गया. इस गैंग रेप की घटना पर ‘इंडियाज डॉटर’ नाम की डॉक्यूमेंट्री लेस्ली उडविन ने बनाई और इसे बीबीसी द्वारा प्रसारित किया गया था. इस डॉक्यूमेंट्री में बलात्कारियों के भी बयान लिए गए थे. इसे 8 मार्च को महिला दिवस पर रिलीज़ किया जाना था. लेकिन इसके प्रोमो में सामने आए इसके कंटेंट और चार बलात्कारियों में से एक मुकेश के इंटरव्यू में दिए गए बयानों के चलते भारत में बैन कर दिया गया था. हालांकि उडविन का दावा था कि उन्होंने इसके लिए जेल के डायरेक्टर जनरल की इजाजत ली थी.
एंग्री इंडियन गॉडेस निर्देशक पान नलिन की इस फिल्म में सात महिलाओं की कहानी दिखाई गई है. इस फिल्म को 2015 में टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया गया जहां से इसे पीपल्स चॉइस अवॉर्ड के लिए चुना गया. इस फिल्म को दुनियाभर में तारीफें मिली. फिल्म में बलात्कार, महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट की तरह प्रदर्शित करना, लैंगिक समानता जैसे कई विषयों को एक साथ उठाया गया था.
दैट डे आफ्टर इव्रीडे इस फिल्म का डायरेक्शन अनुराग कश्यप ने किया है. यह फिल्म 2013 में ई थी. यह एक शॉर्ट फिल्म है, जो इंटरनेट पर आते ही वायरल हो गई. इस फिल्म में ईव टीजिंग जैसे मुद्दे को उठाया गया है. इस फिल्म में राधिका आप्टे एक कामकाजी महिला के तौर पर दिखायी गई हैं जिन्हें घर से दफ्तर के बीच हर रोज छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता है. यही उनकी सहेलियों के साथ भी होता है.
‘निर्भया’ कांड के बाद ‘बलात्कार’ की वीभत्सता को दिखाती 5 फिल्में, जिन्होंने उस चीख को आवाज दी…
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