बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को बिलकिस बानो रेप और मर्डर केस में दोषियों की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने दोषियों को सजाए मौत दिए जाने की सीबीआई की मांग को खारिज करते हुए सभी 11 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। इसके अलावा कोर्ट ने डॉक्टरों और पुलिसवाले समेत सात लोगों को बरी करने से इंकार कर दिया। इन सातों को केस से जुड़े सबूत प्रभावित करने का दोषी पाया गया और सीबीआई को उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए।
सीबीआई ने अपील की थी कि तीन दोषियों जसवंत नाई, गोविंद नाई और एक अन्य की उम्र कैद की सजा को बदलकर मौत की सजा कर दी जाए। कोर्ट ने इस अपील को तो खारिज कर दिया। हालांकि सात अन्य आरोपियों को दोषमुक्त किए जाने के खिलाफ सीबीआई की याचिका को स्वीकार कर लिया।
बता दें कि गुजरात में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगे के दौरान तीन मार्च, 2002 को दाहोद के पास देवगढ़-बरिया गांव में दंगाई भीड़ ने बिलकिस बानो और उसके परिवार पर हमला कर दिया था। परिवार के आठ लोगों की हत्या कर दी गई थी जिसमें चार महिलाएं और चार बच्चे शामिल थे। जबकि छह सदस्य लापता हो गई थी। इतना ही नहीं, बिलकिस बानों का भी रेप किया गया था जबकि वह गर्भावस्था में थी।
21 जनवरी 2008 को स्पेशल ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने जसवंत नाई, गोविंद नाई, सैलेश भट्ट, राधेश्याम भगवान दास शाह, बिपिन चंद्रा जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोर्धिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट औप रमेश चंदन को दोषी करार दिया था। ये लोग मर्डर, गैंग रेप व गर्भवती महिला के रेप का दोषी पाया गया।