भारतीय नौसेना ने ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल के जमीन पर मार करने वाले संस्करण का आज (21 अप्रैल) सफल परीक्षण किया। नौसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि परीक्षण के परिमाण बहुत शानदार थे। उन्होंने कहा कि मिसाइल का परीक्षण बंगाल की खाड़ी में किया गया और इसके परिणाम बहुत सफल रहे। मिसाइल के लिए अंडमान-निकोबार के एक आईलैंड पर खासतौर पर एक लैंड टारगेट बनाया गया था, जिसे भेदने में मिसाइल कामयाब रही। नौसेना अपने जंगी बेड़े में इसका एंटी-शिप वर्जन पहले ही शामिल कर चुकी है। ब्रह्मोस को जमीन से, पनडुब्बी या पानी के जहाज से या विमान से छोड़ा जा सकता है। इसे पनडुब्बी से दागने के लिए 2 सफल टेस्ट पहले किए जा चुके हैं। भारत ने इस मिसाइल को अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगी सीमा पर तैनात किया है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने इस पर एतराज भी जताया था। पीएलए ने अपने माउथ पीस ‘पीएलए डेली’ में लिखा था कि इससे बॉर्डर पर खतरा पैदा होगा।
ब्रह्मोस देश की सबसे मॉर्डन और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है। दुनिया की कोई भी मिसाइल तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकती। यहां तक की अमेरिका की टॉम हॉक मिसाइल भी इस मामले में इसके आगे कमतर है। ब्रह्मोस को लेकर चीन की घबराहट की सबसे बड़ी वजह इसका न्यूक्लियर वॉर हेड तकनीक से लैस होना है। यह 400 km दूरी तक के लक्ष्य को भेद सकती है। चीनी सेना का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर इसकी तैनाती के बाद उसके तिब्बत और युन्नान प्राेविंस पर खतरा मंडराने लगा है। हालांकि परमाणु हथियारों को लेकर भारत की नीति हमेशा से साफ रही है कि वह पहले परमाणु हमला नहीं करेगा और रिहायशी इलाकों में तबाही नहीं मचाएगा।
ब्रह्मोस का समुद्र से जमीन पर टेस्ट सफल, युद्धपोत से छोड़ी गई सुपरसोनिक मिसाइल
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