नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने बीबीसी और उसके एक पत्रकार जस्टिन रॉलेट पर भारत के सभी टाइगर रिजर्व में घुसने पर पांच साल का बैन लगा दिया है। प्राधिकरण द्वारा यह कदम असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में शिकारियों के खिलाफ कड़ी नीति अपनाने पर सवाल उठाने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी के सामने आने के बाद उठाया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह बैन बीबीसी के पूरे नेटवर्क पर लगाया गया है। बीबीसी के दक्षिण एशिया संवाददाता जस्टिन रॉलेट ने काजीरंगा नेशनल पार्क में गैंडों पर ‘वन वर्ल्ड: किलिंग फॉर कंजर्वेशन’ नाम से डॉक्यूमेंटरी बनाई थी। इसमें गैंडों को बचाने के लिए अपनाए जा रहे कदमों पर सवाल उठाए गए थे। इसमें दावा किया गया था कि काजीरंगा के फॉरेस्ट गार्ड को यह अधिकार दिया गया है कि यदि उन्हें लगता है कि गैंडों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है कि तो वे किसी को भी गोली मार सकते हैं।
जस्टिन रॉलेट द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंटरी में बताया था कि फॉरेस्ट गार्ड को मिले इस तरह के अधिकारों की वजह से गैंडों से ज्यादा इंसान मारे गए। बीते साल 17 गैंडों की तुलना में 23 लोग मारे गए। बीबीसी के लिए बनाए गए इस शॉर्ट फिल्म के परिचय के लिए लिखे गए आर्टिकल में रॉलेट ने बताया था कि 2014 के बाद से केवल दो शिकायतों पर जांच के बाद सजा हुई जबकि 50 को गोली मार दी गई।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंटरी की तीखी आलोचना करते हुए इसे पूरी तरह से गलत बताया था। काजीरंगा टाइगर रिजर्व के निदेशक सत्येंद्र सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि देखते ही गोली मारने जैसी कोई नीति नहीं है। गरीब फॉरेन गार्ड जो कि काफी कठिन काम करते हैं, उन्हें बचाने के लिए कानूनी उपाय है। बीबीसी ने तथ्यों को गलत तरह से पेश किया और पुरानी फुटेज व इंटरव्यू को नाटकीय रूप से दिखाया।
एनटीसीए की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया था कि बीबीसी और जस्टिन रॉलेट ने पर्यावरण मंत्रालय को दिखाए बिना डॉक्यूमेंटरी का प्रसारण कर दिया। उन्हें सात दिन का कारण बताओ नोटिस दिया गया था।