नई दिल्ली। बदले जमाने में महिलाओं के सशक्तीकरण और देश व समाज के विकास में उनकी भूमिका को और मजबूत बनाना सरकार की नई राष्ट्रीय महिला नीति का मूल उद्देश्य होगा। नीति में उन विषयों और बिंदुओं पर खासा जोर रहेगा जिससे महिलाएं मौजूदा और भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें। नीति के मसौदे पर फिलहाल मंत्रियों का समूह विचार कर रहा है और इसे जल्द ही कैबिनेट में रखे जाने की संभावना है।
नई राष्ट्रीय महिला नीति के मसौदे में महिलाओं से संबंधित सात क्षेत्रों की पहचान की गई है जिन पर फोकस किया जाना है। महिलाओं के सर्वागीण विकास और विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इन विषयों को ही ध्यान में रखकर नियम कायदे तय किये जाएंगे। इनमें स्वास्थ्य जिसमें खाद्य सुरक्षा और पोषण शामिल हैं, शिक्षा, आर्थिक विकास (कृषि, उद्योग, श्रम, रोजगार, सेवा क्षेत्र विज्ञान व प्रौद्योगिकी), गवर्नेस व फैसले लेने में महिलाओं की भूमिका, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, महिलाओं के पक्ष में माहौल (आवास, इन्फ्रास्ट्रक्चर, पेयजल व सेनिटेशन, मीडिया, स्पोर्ट्स, सामाजिक सुरक्षा) और पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन शामिल हैं।
इससे पहले देश में राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति साल 2001 में बनी थी। लेकिन उसके बाद देश में हुए सामाजिक आर्थिक बदलावों के मद्देनजर बीते एक दशक से नई महिला नीति बनाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। महिलाओं के सशक्तीकरण और देश के विकास में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुरूप एक नई राष्ट्रीय महिला नीति बनाने का फैसला हुआ।
इस पर आगे बढ़ते हुए केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय की तरफ से साल 2013 में बनी एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय महिला नीति का मसौदा तैयार किया गया। सरकार के लिए राष्ट्रीय महिला नीति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, बेहतर शिक्षा और काम के बेहतर माहौल तैयार करने की दिशा में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों में अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर चुकी है।
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राष्ट्रीय महिला नीति के मसौदे पर शुक्रवार को केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह ने विचार किया। समूह की तरफ से मसौदे को मंजूरी मिल जाने के बाद इसे कैबिनेट में भेजा जाएगा। यदि मसौदे में बहुत अधिक बदलाव की जरूरत नहीं हुई तो अगले महीने के अंत तक इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है। इस मंजूरी के मिलने के बाद ही एक अंतर मंत्रालयी कार्ययोजना तैयार की जाएगी। दरअसल इस नीति पर अमल की सफलता इसी बात पर निर्भर करेगी कि कैसे सरकार के सभी विभाग इसे लागू करते हैं।
अमल की कार्ययोजना बनाने के लिए राज्य सरकारों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी ताकि पूरे देश में एक समान तरीके से इसे कार्यान्वित कराया जा सके। नीति के मसौदे के मुताबिक कार्य योजना में अल्पकालिक (शुरुआती पांच साल) और दीर्घकालिक (पांच साल से अधिक) की अवधि के लक्ष्य, समय सीमा आदि निर्धारित किये जाएंगे। नीति की सफलता और प्रगति की समीक्षा के लिए महिला व बाल विकास मंत्रालय की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालयी निगरानी समिति भी गठित करने का प्रस्ताव मसौदे में किया गया है।