स्वस्थ जीवनशैली अपनाने को लेकर पिछले एक दशक के दौरान लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इसके बावजूद लोगों में मोटापा बढ़ रहा है। पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाओं में मोटापा बढ़ रहा है। शहरों में तकरीबन एक तिहाई महिलाएं और एक चौथाई पुरुष मोटापे की चपेट में हैं।
राष्ट्रीय परिवार कल्याण सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। दरअसल एनएफएचएस-3 के आंकड़ों के मुकाबले मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या में करीब-करीब दोगुनी बढ़ोतरी हो चुकी है।
एनएफएचएस-3 सर्वे 2005-06 में हुआ था। तब 9.3 फीसदी पुरुष और 12.6 फीसदी महिलाएं मोटापे की चपेट में थीं। ताजा सर्वेक्षण 2014-15 में किया गया, जिससे 18.6 फीसदी पुरुषों और 20.7 फीसदी महिलाओं के मोटापे की चपेट में होने का पता चला।
शहरों में ज्यादा मोटे
रिपोर्ट के अनुसार शहरों में 31.3 फीसदी महिलाएं एवं 26.3 फीसदी पुरुषों का वजन जरूरत से ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी महिलाएं 15 फीसदी एवं पुरुष 14.3 फीसदी हैं। यदि एनएफएचएस-3 की बात करें तो तब शहरों में 28.9 महिलाएं एवं 22.2 फीसदी पुरुष तथा गांवों में 8.6 फीसदी महिलाएं एवं 7.3 फीसदी पुरुष मोटापे की चपेट में थे।
महिलाएं कम जागरूक
जाने माने एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉक्टर अनूप मिश्र के अनुसार मध्यम एवं निम्न आयवर्ग के लोग खासकर महिलाएं खान-पान एवं व्यायाम को लेकर जागरूक नहीं हैं। उच्च तबके में जिनके पास पैसा है, वह जागरूक हो चुका है तथा अपनी सेहत सुधार रहा है। मध्यम एवं निचले तबके की महिलाएं घर में ही ज्यादा रहती हैं। इस तबके को ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है। महिलाएं अपने सेहत की प्रति सजग रहेंगी तो उनके बच्चे और पति की सेहत भी सही रहेगी।
गर्भावस्था से मोटापा
महिलाओं के बार-बार गर्भधारण करने से भी मोटापे का खतरा ज्यादा रहता है। दूसरे, रजोनिवृत्ति के दौरान विशेष एहतियात नहीं बरतने से भी वजन बढ़ सकता है। इसलिए वजन के मामले में महिलाएं ज्यादा संवेदनशील हैं।
कई बीमारियों की आशंका
डॉक्टर मिश्र के अनुसार मोटापा मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियों को न्योता देता है। जिस तेजी से मोटापा बढ़ रहा है, उसी तेजी से ये बीमारियां भी बढ़ेंगी। यदि महिलाओं में इसी तेजी से मोटापा बढ़ा तो मधुमेह रोगियों में उनकी संख्या पुरुषों से भी ज्यादा हो जाएगी।