सीबीआई को संदेह है कि व्यापम से जुड़े 96 मामलों में उम्मीदवारों ने बिचौलियों की जानकारी देने में फर्जीवाड़ा किया है। असली बिचौलियों को बचाने के लिए उन्होंने ऐसे गरीब लोगों के नाम लिखा दिए जिनकी मौत हो चुकी है। सीबीआइ सूत्रों के अनुसार, व्यापम द्वारा आयोजित मेडिकल प्रवेश परीक्षा में बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने अपने बदले मेधावी छात्रों को बिठाया था। इसके लिए बिचौलियों ने अभ्यर्थियों से संपर्क किया।
उनकी रजामंदी के बाद अन्य बिचौलियों को उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली और राजस्थान से मेधावी छात्रों को खोजकर लाने की जिम्मेदारी दी गई, जो मेडिकल परीक्षा पास करने में सक्षम थे। सूत्रों ने कहा कि उम्मीदवारों को दूसरे बिचौलियों के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी, जो उनके लिए डमी परीक्षार्थी ढूंढ रहे थे।
बड़ी संख्या में फोटोग्राफरों को लगाकर ऑनलाइन फॉर्म में तस्वीरों से छेड़छाड़ की गई। यह काम इस तरह से किया गया कि उम्मीदवारों और उनके बदले परीक्षा देने वाले छात्रों का चेहरा मिलता-जुलता नजर आए। जब घोटाले का भंडाफोड़ हो गया, तो छात्रों से कहा गया कि वे ऐसे गरीब लोगों का नाम बिचौलिये के तौर पर बता दें, जिनकी मौत हो चुकी है।
इसका मकसद असली बिचौलियों और डमी परीक्षार्थियों को पुलिस से बचाना था। जब सीबीआइ ने जांच का काम अपने हाथ में लिया तो पता चला कि लगभग 96 मामलों में फर्जी बिचौलियों का नाम लिखा दिया गया है।