पं.मुक्तिनारायण पांडेय के अनुसार देशभर में अलग-अलग समय पर सूर्यास्त होता है, इसलिए हर जगह सूर्यास्त के बाद दो घंटा 24 मिनट और जोड़ लिया जाए। इस समय के बीच ही होलिका दहन किया जा सकेगा। होलिका दहन स्थल की पूजा करते समय मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
पूजा की थाली में एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग बताशा, गुलाल, नारियल, पके चने की बालियां, गेहूं की बालियां, गोबर(कंडों) से बनी माला व चीनी (शक्कर) की माला से पूजा करें। पूजा करते समय मंत्र ‘अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होली बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ‘ का उच्चारण करते हुए पूजा करें और कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर लपेटें।
मान्यता है कि होलिका दहन के दौरान गेहूं की बाली सेंककर घर में रखने से धनधान्य में वृद्धि होती है। जली हुई होली की गर्म राख घर में समृद्धि लाती है। साथ ही परिवार में शांति व आपसी प्रेम बढ़ता है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
शाम 6.25 से 8.25 बजे तक
भद्रा पुंछ 4.10 से 5.25 बजे तक
भद्रा मुख 5.25 से 7.25 बजे तक
सदर में बजने लगे चंग-मृदंग
सदरबाजार में होली का उल्लास छाने लगा है। तीन-चार दिनों से चंग, मृदंग व नगाड़ों की धुन पर फाग गीत गाने की परंपरा निभाई जा रही है। सदर पाटा ग्रुप नं.1 के नेतृत्व में एडवर्ड रोड पर युवा, बुजुर्ग, बच्चे होली का आनंद लेंगे।
अंबा मंदिर में रेन विथ डांस संग सामाजिक होली
शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज के सदस्य राकेश शर्मा ने बताया कि सत्ती बाजार अंबा देवी मंदिर परिसर में शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज के सदस्य ‘रेन विथ डांस’ होली का आनंद लेंगे।
बूढ़ापारा गोकुल चंद्रमा मंदिर
बूढ़ापारा स्थित गोकुल चंद्रमा मंदिर में दोपहर 12 बजे भगवान कृष्ण-राधा संग होली खेलने की परंपरा निभाई जाएगी।