नई दिल्लीः 1 अप्रैल 2017 से आपके जीवन में कई बदलाव होने वाले हैं. क्योंकि इस दिन से आपके जीवन से जुड़े कई नियमों बदल जाएंगे. इन नियमों के बदलने से आपके जीवन में कहीं राहत तो कहीं आफत का आना संभव है. एक अप्रैल से देश के सबसे बड़ा बैंक एसबीआई में महीने में 3 से ज्यादा फ्री ट्रांजैक्शन का चार्ज लगेगा। वहीं, एसबीआई में 6 बैंकों का विलय भी हो जाएगा। कैश ट्रांजैक्शन लिमिट 3 लाख से घटकर 2 लाख हो सकती है। शनिवार से ही कार-बाइक और हेल्थ इन्श्योरेंस भी महंगा हो जाएगा। इसके अलावा मेल-एक्सप्रेस के किराए में राजधानी-शताब्दी में सफर किया जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के मुताबिक, एक अप्रैल से ही बीएस-III नॉर्म वाली गाड़ियां नहीं बिक सकेंगी।
भारतीय स्टेट बैंक के खाताधारक महीने में सिर्फ 3 बार ही अपने अकाउंट में मुफ्त में पैसे जमा कर सकेंगे। इसके बाद हर डिपॉजिट पर 50 रुपए और सर्विस चार्ज देना होगा। एसबीआई डेबिट कार्डधारकों से SMS अलर्ट भेजने के लिए 15 रुपए का चार्ज वसूलेगा। तीन बार से अधिक किसी भी दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकालने पर आपको प्रति ट्रांजेक्शन 20 रुपए देना होगा। एसबीआई के एटीएम से पांच से ज्यादा ट्रांजेक्शन करने पर प्रति ट्रांजेक्शन आपको 10 रुपए देना होगा।
हर खाताधारक को मिनिमम अकाउंट बैलेंस रखना जरूरी होगा। यह बैलेंस मेट्रो शहरों के लिए अलग है, जबकि अन्य शहरों और ग्रामीण इलाकों के लिए अलग होगा। मिनिमम बैलेंस न रखने की स्थिति में अलग-अलग शहरों के हिसाब से अलग-अलग चार्ज लगेगा।
1 अप्रैल से देश में 5 बड़े बैंक बंद हो जाएंगे। 1 अप्रैल से स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला एसबीआई में शामिल हो जाएंगे।
बजट 2017 के दौरान जेटली ने कैश ट्रांजैक्शन लिमिट 2 लाख तक करने की बात कही थी फिलहाल ये 3 लाख है। अगर बदलावों को संसद की मंजूरी मिल जाती है तो पेनल्टी की रकम उतनी ही होगी, जितनी एक्स्ट्रा रकम कैश में ली गई है। इसका मतलब है कि यदि कोई 5 लाख रुपए कैश लेता है तो उसे 3 लाख रुपए की पेनल्टी देनी पड़ सकती है।
रेल मंत्रालय ने ‘विकल्प’ नामक एक नया रिजर्वेशन सिस्टम बनाया है, इसे वैकल्पिक ट्रेन आवास योजना (एटीएएस) भी नाम दिया गया है, जो कि 1 अप्रैल 2017 से लागू होगी। इस योजना के जरिए वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को राजधानी, शताब्दी या अन्य प्रीमियम/विशेष ट्रेनों में यात्रा करने का मौका मिल सकता है।
भले ही उन्होंने अन्य मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों में एक ही गंतव्य के लिए टिकट बुक कराए हों। इसके लिए यात्रियों से कोई भी शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य मेजर रुट्स पर प्रीमियम ट्रेनों में काफी सारी खाली बर्थ को भरना है। वर्तमान समय में इस योजना को चुनिंदा रुट्स पर पायलट आधार पर पेश किया जा रहा है। इसमें शुरुआती तौर पर विकल्प योजना केवल ई-टिकट के लिए ही उपलब्ध होगी। इस योजना के जरिए वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को विकल्प स्कीम के चयन का मौका मिलेगा। विकल्प योजना में उन यात्रियों का चयन किया जाएगा जिनका नाम चार्ट तैयार होने के बाद भी कन्फर्म नहीं होता है, केवल ऐसे ही यात्रियों के लिए वैकल्पिक ट्रेन में आवंटन पर विचार किया जाएगा। विकल्प के जरिए टिकट कन्फर्म होने पर किसी यात्री से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूला जाएगा और न ही इसमें किराए में अंतर होने पर रिफंड की सुविधा दी जाएगी। रेल यात्री को अल्टरनेट ट्रेन में सीट आबंटित कर दिए जाने के बाद उसे सामान्य यात्री ही माना जाएगा और वो अपग्रेडेशन के पात्र होंगे। आपको ये भी बता दें कि विकल्प योजना के तहत हर ट्रेन में बर्थ के उपयोग की सुविधा मिल सकेगी। वेटिंग लिस्ट वाले यात्री जो विकल्प योजना का विकल्प चुनेंगे उन्हें चार्ट तैयार होने के बाद पीएनआर स्टेटस चेक करना होगा ताकि वे ये जान सकें कि उन्हें किस ट्रेन में सीट दी गई है।
1 अप्रैल से टीसीएस के नियम भी बदलने जा रहे हैं। नए नियमों के अनुसार दो लाख रुपये से अधिक के आभूषणों की खरीद पर एक प्रतिशत का स्रोत पर कर यानी टीसीएस देना होगा। पुराने नियम के हिसाब से इसकी सीमा 5 लाख रुपये है। आपको बता दें कि वित्त विधेयक 2017 पारित होने के बाद आभूषण भी सामान्य वस्तुओं की श्रेणी में आ जाएंगे, जिनपर दो लाख रुपये से अधिक की खरीद पर एक प्रतिशत टीसीएस देना होगा। वित्त विधेयक 2017 में टीसीएस के लिए 5 लाख रुपये से अधिक के आभूषणों की खरीद की सीमा को समाप्त करने का प्रस्ताव है। इसकी वजह यह है कि 2017-18 के बजट में तीन लाख रुपये से अधिक के नकद सौदों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके उल्लंघन में नकदी स्वीकार करने वाले व्यक्ति पर उतनी ही राशि का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। चूंकि आभूषणों की खरीद के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है ऐसे में अब इसे सामान्य उत्पादों के साथ मिला दिया गया है।
ढाई लाख से 10 लाख रुपये के बीच की आय वालों का टैक्स 10 फीसद से 5 फीसदी कर दिया जाएगा। सेक्शन 87ए के तहत छूट 5000 रुपये से घटाकर 2500 रुपये कर दी गई है। साथ ही जिन की आय 3.5 लाख रुपये से ऊपर है उनके लिए कोई छूट नहीं है। जिन लोगों की आय 50 लाख से 1 करोड़ है, उनपर 10 फीसदी सरचार्ज लगेगा। जिन लोगों की आय एक करोड़ रुपये के ऊपर है उनपर 15 फीसद तक का सरचार्ज लगेगा। जिन लोगों की टैक्सेबल इनकम यानि कर योग्य आय 5 लाख रुपये तक की है (बिजनेस इनकम के अलावा) उनके लिए टैक्स फाइल करने के लिए एक पेज का सरल फॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा। एसेसमेंट ईयर यानि आंकलन वर्ष 2018-19 के लिए राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में निवेश करने वालों के लिए कोई भी डिडक्शन नहीं दी जाएगी। आयकर विभाग अधिकारी बीते 10 वर्षों के उन सभी मामलों की फिर से जांच कर सकता है, जिनकी आय और संपत्ति 50 लाख रुपये से अधिक है। लंबे समय के लाभ के लिए प्रॉपर्टी से पैसे कमाने वालों के लिए अवधि तीन वर्ष से घटाकर दो वर्ष कर दी गई है। सरकार ने उन संपत्तिधारकों के लिए कर लाभ कम कर दिए हैं, जो उधारकर्ता (बॉरोअर्स) बन कर किराए का फायदा उठाते हैं। जिन लोगों को 50,000 रुपये से अधिक का किराया मिलता है, उन्हें 5 फीसद अतिरिक्त टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) देना होगा। नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) से की जाने वाली आंशिक निकासी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। अब पैन कार्ड के आवेदन के लिए भी आधार कार्ड का होना अनिवार्य होगा। साथ ही जुलाई से टैक्स रिटर्न भरते वक्त आधार का होना जरूरी होगा।
– IRDAI कहना है कि बीमा कंपनियों को यह भी सर्टिफिकेट देना होगा कि जो पॉलिसी पहले सोल्ड हो चुकी हैं, उनमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया जाएगा। सर्टिफिकेट में यह भी साफ बताना होगा कि प्रीमियम रेट में इस तरह का कोई बदलाव नहीं होगा, जिससे पॉलिसी होल्डर को नुकसान हो।
सुप्रीम कोर्ट ने लोगों की सेहत का हवाला देकर देशभर में बीएस-3 गाड़ियां बेचने और उनके रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी। एक अप्रैल के बाद सिर्फ बीएस-4 इमिशन स्टैंडर्ड वाली गाड़ियां ही बेची और रजिस्टर्ड हो सकेंगी।कंपनियों के स्टॉक में बीएस-3 की करीब 8.24 लाख गाड़ियां हैं। करीब 12 हजार करोड़ रुपए के नुकसान की दुहाई देते हुए उन्होंने यह स्टॉक बेचने की मंजूरी मांगी थी। लेकिन जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने मांग खारिज कर दी।

