Sunday, December 22, 2024
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कैदखाने की काली स्याह, जेल में कैदियों को नहीं मिल रही न्यूनतम मजदूरी

जेल में कैदियोंसे तरहतरहके काम तोलिए जाते हैं, लेकिन इन्हें सरकारद्वारा तय न्यूनतममजदूरी नहीं मिलती।न्यूनतम मजदूरी के आसपासका मेहनताना भीइन्हें नहीं मिलता।जेल में कामकरने वाले कैदियोंको कुशल, अर्धकुशल, अकुशल कुशलखुली वसाहत मेंवर्गीकृत किया गयाहै। काम करनेवाले कुशल कैदीको 61, अर्धकुशल को 55, अकुशलको 44 कुशलखुली वसाहत को77 रुपए प्रतिदिन मेहनताना मिलनेका खुलासा RTI मेंहुआ है। जेलकी भाषा मेंइसे बंदी वेतनकहा जाता है।सेंट्रल जेल मेंतरहतरह कामाल तैयार कियाजाता है। सेंट्रलजेल 14 महीने में 3 करोड़37 लाख से ज्यादाका उत्पादन करचुका है।  सेंट्रल जेल मेंकैदियों से बढ़ई, बुनकरी, यंत्रमाग, सिलाई, लोहार, बेकरी, कार वाशिंग, कपड़े धुलाई जैसाकाम लिया जाताहै। साल 2017 मेंसभी कामों सेजेल को 2 करोड़67 लाख 96 हजार सेज्यादा का उत्पादनहुआ। इसी तरहसाल 2018 के पहलेदो महीने में69 लाख 52 हजार सेज्यादा उत्पादन कर चुकाहै। इस तरहकेवल 14 महीने में ही3 करोड़ 37 लाख 49 हजार 51 रुपएका उत्पादन करचुका है।
कैदियों का मेहनतानाहर तीन सालमें 10 फीसदी बढ़ता है।20 अगस्त 2017 को मेहनतानेमें 10 फीसदी की बढ़ोतरीहुई है। तीनसाल पूरे होनेके बाद गृहविभाग के आदेशपर बंदी वेतनबढ़ेगा। सेंट्रल जेल मेंकुल 2,208 कैदी है, जिनमें 63 महिला कैदी है।इसमें भी 9 विदेेशीकैदी है। जेलके अंदर बड़ागोल में 1,107, छोटीगोल में 700, आदानमें 227, अस्पताल में 57, अंडासेल में 20, पाकगृहमें 34 इसकेअलावा 63 महिला कैदी है।विदेशी कैदियों में 3 छोटीगोल में, 1 अस्पतालमें 5 महिलाएंहैं।

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