नई दिल्ली.अनिल माधव की स्ट्रैटजी 2003 में उस वक्त के सीएम दिग्विजय सिंह को हराने में अहम साबित हुई। इसी से वो सुर्खियों में अाए थे। वो नदी बचाने के एक्सपर्ट और ग्लोबल वार्मिंग पर बने पार्लियामेंट्री फोरम के मेंबर थे। एनवॉयर्नमेंट सब्जेक्ट उनके दिल के करीब था। बता दें कि दवे का गुरुवार को दिल्ली के एम्स में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया, वो 61 साल के थे।
अनिल माधव दवे अपनी जिंदगी के शुरुआती दिनों से ही सोशल वर्क से जुड़े थे।
उन्होंने नदी बचाने के लिए “नर्मदा समग्र” नाम का एनजीओ बनाया था। दवे मध्य प्रदेश से दो बार राज्यसभा सांसद रहे। उन्हें बीजेपी में गलतियां न करने वाले और ऑर्गनाइजेशन को बहुत अच्छे तरीके से चलाने वाले शख्स के तौर पर जाना जाता था। उन्हें पिछले साल ही यूनियन एनवायर्नमेंट मिनिस्टर बनाया गया था।
दवे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से काफी वक्त से जुड़े थे।
2003 में उनकी स्ट्रैटजी उस वक्त के सीएम दिग्विजय सिंह को हराने में अहम साबित हुई। इससे वो सुर्खियों में अाए। बाद में मध्य प्रदेश की सीएम बनीं उमा भारती ने उन्हें अपना एडवाइजर बनाया था।
नहीं रहे दवे: दिग्विजय को हराने की कामयाब स्ट्रैटजी से आए थे सुर्खियों में
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