वाशिंगटन। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में विश्व बैंक ने सिंधु जल समझौते के तहत शुरू की गई भारत और पाकिस्तान की प्रक्रियाओं को रोक दिया है। विश्व बैंक का कहना है कि इससे दोनों देशों को समझौते को लेकर मतभेदों के हल और दो पनबिजली परियोजनाओं को लागू करने के विकल्प तलाशने के अवसर मिलेंगे।
विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने भारत और पाकिस्तान के वित्त मंत्रियों को लिखे पत्र में प्रक्रियाओं को रोकने की घोषणा की। पत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि संस्था समझौते की रक्षा के लिए काम कर रही है।
प्रक्रिया को रोकने के बाद विश्व बैंक पंचाट का अध्यक्ष या तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति को टाल देगा। उसने पहले कहा था कि 12 दिसंबर को ये नियुक्तियां की जा सकती हैं। पिछले महीने भारत ने पंचाट के गठन और तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के विश्व बैंक के फैसले पर कड़ा विरोध जताया था।
बैंक ने जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रैटल पनबिजली परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान की शिकायत पर यह फैसला लिया था। भारत सरकार की मांग पर तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति और पाकिस्तान की मांग पर पंचाट गठन के फैसले एक ही साथ लेने पर भारत ने आश्चर्य जताया था। उसने कहा था कि साथ-साथ दोनों कार्यवाहियां कानून सम्मत नहीं है।
विश्व बैंक ने कहा कि दोनों देशों की प्रक्रियाएं एक ही समय में चल रहीं थी जिससे विरोधाभासी परिणाम का खतरा हो रहा था। साथ ही इससे समझौते को खतरा हो सकता था। किम ने उम्मीद जताई कि जनवरी के अंत तक दोनों देश में सहमति बन जाएगी।
मौजूदा प्रक्रियाएं 330 मेगावाट की किशनगंगा और 850 मेगावाट की रैटल पनबिजली परियोजनाओं के संबंध में हैं। भारत किशनगंगा और चेनाब नदियों पर इन बिजली संयंत्रों को निर्माण कर रहा है।