इजरायल की ओर से गाजा पर जारी हमलों के बीच भारत की भी चिंताएं बढ़ सकती हैं। सुरक्षा कारणों से संवेदनशील राज्य जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रदर्शन हो सकते हैं। इसके अलावा विदेशी आतंकवादी भी घुसपैठ बढ़ा सकते हैं। इस बीच एजेंसियों ने राज्य में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है। इसके अलावा अगले कुछ महीने आतंकियों से निपटने की रणनीति क्या हो, इस पर भी विचार किया गया है। बुधवार को 15 कॉर्प्स के श्रीनगर स्थित मुख्यालय में इसे लेकर मीटिंग हुई। दरअसल सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि गाजा में इजरायली हमलों के विरोध में लोग सड़कों पर उतर सकते हैं।
ऐसी स्थिति में सुरक्षा व्यवस्था कैसे मेंटेन की जाए, इसे लेकर मंथन हुआ। यही नहीं इन प्रदर्शनों की आड़ लेकर आतंकवादी भी सक्रिय हो सकते हैं और चुनौती हो सकती है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में आने वाले कुछ दिन अहम होंगे। जम्मू-कश्मीर से 2019 में आर्टिकल 370 हटा लिया गया था और राज्य का पुनर्गठन भी हुआ था। उसके बाद से ही सड़कों पर होने वाले प्रदर्शनों में थोड़ी कमी आ गई है। लेकिन अब इसकी आशंका को देखते हुए एजेंसियां फिर से सतर्क हैं। एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकी सक्रिय हो सकते हैं।
इसकी वजह यह है कि बीते कुछ सालों में स्थानीय आतंकवादियों की भर्ती में कमी आई है। ऐसे में हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन बाहर से दहशतगर्दों की घुसपैठ करा रहे हैं। इस साल अब तक जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने 46 आतंकियों को मार गिराया है। इनमें से 37 पाकिस्तानी थे और 9 ही स्थानीय थे। बीते 33 सालों में यह पहला मौका है, जब जम्मू-कश्मीर में मारे आतंकियों में से विदेशी यानी पाकिस्तानियों का आंकड़ा स्थानीय दहशतगर्दों के मुकाबले 4 गुना अधिक रहा है।