Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी नेता नवाब मलिक को बड़ी राहत दी है. महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक की अंतरिम जमानत 3 महीना बढ़ा दी गई है. इससे पहले 11अगस्त को खराब स्वास्थ्य के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 महीने की अंतरिम जमानत दी थी. किडनी की समस्या बरकरार रहने के चलते जमानत की अवधि बढ़ाई गई है. नवाब मलिक को फरवरी 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नवाब मलिक डेढ़ साल तक जेल में थे. फरवरी 2022 में ईडी ने गोवावाला कंपाउंड मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था. लेकिन पिछले साल से मलिक कोर्ट की अनुमति से कुर्ला के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे. मलिक ने कई बार जमानत के लिए आवेदन किया था. लेकिन उनकी जमानत अर्जी बार-बार खारिज की गई. आज सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार मलिक को बड़ी राहत देते हुए मेडिकल आधार पर जमानत दे दी.
नवाब मलिक पर क्या आरोप?
हसीना पारकर, सलीम पटेल, 1993 मुंबई बम धमाकों के आरोपी सरदार खान और नवाब मलिक पर गोवावाला कंपाउंड में एक महिला मुनीरा प्लंबर की तीन एकड़ जमीन साजिश रचने और अवैध रूप से हड़पने का आरोप है. 1999 में सलीम पटेल के नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी जारी की थी. इससे सलीम पटेल को इस जमीन पर अवैध कब्जे को निपटाने की उम्मीद थी. हालांकि, आरोप है कि पटेल ने इसका दुरुपयोग किया और हसीना पारकर के निर्देश पर गोवावाला कंपाउंड की जमीन मलिक की सॉलिडस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बेच दी. ईडी ने आरोप लगाया कि मलिक ने गोवावाला परिसर में परिसर किराए पर दिया और आय से बांद्रा, कुर्ला में फ्लैट और उस्मानाबाद में कृषि भूमि खरीदी. वहीं नवाब मलिक ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. उन्होंने दावा किया कि गोवावाला परिसर में जमीन कानूनी तरीकों से खरीदी गई थी. मलिक की ओर से दावा किया गया है कि करीब पांच महीने बीत जाने के बाद भी जांच एजेंसी की ओर से कोई पुख्ता सबूत दाखिल नहीं किया गया है. लेकिन फिर भी उन्हें इस मामले में राहत नहीं मिली.