बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और 4 पड़ोसी राज्यों से प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट देने को कहा है। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लागू किए गए उपायों का विस्तृत ब्यौरा देने के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को एक सप्ताह का समय दिया गया है। न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा शामिल हैं। अब इस मामले की सुनवाई 7 नवंबर को होगी।
कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि इसका आने वाली पीढ़ियों पर भारी असर पड़ेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता के कारण अब घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। पीठ ने कहा, कुछ दशक पहले दिल्ली में सर्दी का मौसम हुआ करता था। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण फसल जलाना है। नासा के आंकड़ों से पता चलता है कि अपेक्षाकृत धुआं रहित अक्टूबर के बाद पंजाब में पराली जलाने में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य में रविवार को 1,068 खेतों में पराली जलाने की घटनाओं के साथ 740 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई – जो मौजूदा कटाई के मौसम में एक दिन में सबसे अधिक है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन (सीएक्यूएम) को निर्देश दिया है कि समस्या कब शुरू हुई और वर्तमान जमीनी स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रिपोर्ट में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) जैसे पैरामीटर और खेतों में आग लगने की घटनाओं की संख्या शामिल हो। राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में वायु गुणवत्ता गिरकर ‘गंभीर’ श्रेणी में आ गई है और कुछ और दिनों तक इसके ‘बहुत खराब’ रहने की आशंका है।
पीठ ने कहा, ‘‘संबंधित राज्य यह बताते हुए एक हलफनामा दाखिल करें कि उन्होंने इस स्थिति को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। हम दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।’’ सीएक्यूएम ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता बिगड़ने पर छह अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सरकारी प्राधिकारियों से होटलों तथा रेस्त्रां में कोयले के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने और प्रदूषण फैला रहे उद्योगों तथा ताप विद्युत संयंत्रों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया था। सीएक्यूएम एक स्वायत्त निकाय है जिसे दिल्ली तथा आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार करने का काम दिया गया है।