Kota coaching:राजस्थान का एक शहर है कोटा… एक ऐसा शहर जो बच्चों को सपने दिखाता है कामयाबी के सपने, डॉक्टर और इंजिनियर बनने के सपने….समाज में कुछ बड़ा मुकाम हासिल करने के सपने इन सपनों के साथ-साथ ही जुड़े होते हैं… कई अभिभावक तो अपनी जिंदगी के अधूरे का बोझ भी इन बच्चों पर डाल देते हैं और फिर कोटा की कोचिंग संस्था खुद इन सपनों को और बढा चढाकर बेचते हैं. और फिर शुरू होता है सपनों के मर जाने का खेल।
एक रिपोर्ट के मुताबिक कोटा में पिछले 10 सालों में 100 से ज़्यादा छात्र अपनी जान ले चुके हैं. इस साल अभी तक 25 छात्रों की मौत हो चुकी है, जो कि अब तक सबसे ज़्यादा संख्या है. जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 15 का था।इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है दूसरे से मुकाबला नहीं कर पाना इसके साथ ही कई बार फेल हो जाना, जिसके बाद बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं और उनको लगता कि अब उनके जीवन में कुछ नहीं बचा है । जब उनके कोई रास्ता नहीं दिखता है तब बच्चे तंग आकर आत्महत्या कर लेते हैं। अबतक जितने भी बच्चों ने सुसाइड की है इसके पीछे की वजह फेल होने का डर, सिलेक्शन न होने का डर, माता-पिता की नजरों में गिर जाने का डर, दुनिया की उम्मीदों पर खरे न उतरने का डर। ऐसे कई डर बच्चों के मन में सताने लगता है जिसके बाद वो ऐसा कदम उठाते हैं ।
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इसीलिए आप अपने बच्चों के करियर में अपना करियर मत तलाशिए। आपको जो करना था, जो बनना था, आप बने। आपके बच्चों को जो करना है, या बनना है, उन्हें बनने दें। ये कोचिंग संस्थान दरअसल मौत की फैक्ट्री हैं। यहां बच्चों के मन में सपने जगाए नहीं जाते, कुचले जाते हैं। उन्हें एक प्रोडक्ट मान लिया जाता है और मशीन में रोज उनकी पिसाई होती है। ये कोचिंग वाले छात्रों को खोखला कर देते हैं। पढ़ने का इतना दबाव होता है कि बच्चे घुट जाते हैं। हमें ये समझना चाहिए कि हमारी संतान हमारी फैक्ट्री का उत्पाद नहीं है, जिसका बाज़ार में मोल लगे। वो ईश्वर की नेमत है। उसे उसकी खुशी से जीने दें और खुद भी खुश रहें। आप उसके मार्गदर्शक बनें, रिंग मास्टर नहीं।