अहमदाबादः गुजरात हाईकोर्ट ने आज उस अर्जी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों से जवाब तलब किया जिसमें 1994 के एक आधिकारिक प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की गई है. इस प्रस्ताव के जरिए 39 जातियों के लोगों को अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी सूची में शामिल किया गया था.
मेहसाणा जिले की विसनगर नगरपालिका में भाजपा के पाषर्द अजमल ठाकोर ने एक ताजा सर्वे कराने की भी मांग की ताकि अन्य पिछड़े समुदायों की पहचान की जा सके और ओबीसी की एक नई सूची बनाई जा सके.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति वी एम पंचोली की खंडपीठ ने केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ राष्ट्रीय ओबीसी आयोग और राज्य ओबीसी आयोग को भी नोटिस जारी किया.
अपने वकील रोहित पटेल के जरिए दाखिल की गई अर्जी में ठाकोर ने दलील दी है कि ओबीसी सूची में 39 जातियों को शामिल करना ओबीसी आयोग की किसी समीक्षा या सिफारिश पर आधारित नहीं है और यह इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय के 1993 के आदेश के खिलाफ है.
साहनी के मामले में उच्चतम न्यायालय ने हर 10 साल पर सूची की आवधिक समीक्षा के निर्देश देते हुए कहा था कि आयोग की सिफारिश या समीक्षा के बगैर किसी जाति को सूची में शामिल नहीं किया जाएगा.