वाराणसी, 19 अक्टूबर (हि.स.)। ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने को जिलाधिकारी को सौंपने के मामले की सुनवाई जिला जज की अदालत में होगी। जिला जज ने व्यास परिवार का आवेदन मंजूर करते हुए गुरुवार को कहा कि इस केस को सिविल जज सीनियर डिवीजन से वापस लेकर जिला जज की अदालत में सुना जाएगा।
व्यासजी के तहखाने को लेकर वादी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल किया था। इसके बाद उन्होंने इस मामले को जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। व्यास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में यह याचिका दाखिल की थी। ज्ञानवापी परिसर से जुड़े अन्य मामले जिला जज की अदालत में चल रहे हैं। इस वाद को भी जिला जज की अदालत में स्थानांतरित किए जाने की अपील की गई थी। इस फैसले के बाद अब ज्ञानवापी के मूल वाद समेत नौ मामलों की सुनवाई एक साथ जिला जज की अदालत में होगी।
हिंदू पक्ष की इस मांग पर प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने भी स्थानांतरण आवेदन में मूल वाद की संख्या और वर्ष का उल्लेख नहीं किए जाने पर उसे अपूर्ण और त्रुटिपूर्ण बताया और इसे खारिज किए जाने की मांग की थी।
दरअसल, ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे जारी है। परिसर में स्थित व्यासजी के तहखाने को लंबे समय बाद सर्वे के दौरान खोला गया तो व्यास परिवार ने पूजा का अधिकार मांगा। याचिकाकर्ता शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने बीते 25 सितंबर को वाद दाखिल किया था। उन्होंने कहा था कि व्यासजी का तहखाना वर्षों से उनके परिवार के कब्जे में रहा है। वर्ष 1993 के पहले से पूजा-पाठ और राग-भोग होता चला आ रहा था। 1993 के बाद उस तहखाने को तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश पर घेर दिया गया। साथ ही पूजा-पाठ से उनके परिवार को वंचित कर दिया गया।
पाठक ने याचिका में कहा कि नंदीजी के सामने स्थित व्यासजी के तहखाने का दरवाजा वर्तमान में खुला है। उस जगह वादी और उनके परिवार को जाने से रोका जाता है।आशंका है कि अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी तहखाने पर कब्जा कर लेगी। इसके साथ ही पाठक ने विराजमान नंदी के सामने गेट को खुलवाकर आवागमन की बात भी कही। ज्ञानवापी मूल वाद के अलावा अब नौ मामलों की एक साथ सुनवाई जिला जज की अदालत में होगी।