infertility: बदलती जीवनशैली के कारण पिछले कुछ सालों में महिला और पुरुष, दोनों में इंफर्टिलिटी की समस्या तेजी से उभरकर सामने आने लगी है। इसमें सबसे अहम कारण होता है तनाव। तनाव न केवल इंफर्टिलिटी का प्रमुख कारण बन रहा है, बल्कि इंफर्टिलिटी के उपचार के दौरान भी प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। आइए जानते हैं इस तनाव से प्रजनन क्षमता किस तरह से प्रभावित हो रही है और इसेे कैसे दूर किया जा सकता है।
बचपन से ध्यान दें रिप्रोडक्टिव हैल्थ पर
infertility: यदि महिला और पुरुष, दोनों में किसी तरह की शारीरिक समस्या नहीं है तो पहला कारण तनाव है। तनाव शरीर के सारे हार्मोंस को बदल देता है। इसके कारण या तो गर्भ ठहर ही नहीं पाता या फिर गर्भ ठहरता है, तो उसका ठीक तरह से विकास नहीं हो पाता है। इससे प्रीमैच्योर या गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है। तनाव से पुरुषों की स्पर्म क्लालिटी भी प्रभावित होती है। करीब 40 फीसदी इंफर्टिलिटी की वजह तनाव देखा गया है। इसलिए बचपन से ही रिप्रोडक्टिव हैल्थ पर ध्यान दिया जाए तो आगे चलकर इस समस्या से बच सकते हैं। बच्चों के खानपान और जीवनशैली पर ध्यान दें।
नुस्खों आदि पर भरोसा न करें, डॉक्टरी सलाह लें
infertility: इंटरनेट की दुनिया में लोग स्वयं अपनी समस्याओं के बारे में सर्च करके इलाज करने लगते हैं या फिर दूसरों की बातों पर भरोसा कर इलाज के उपाय करते हैं। इससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। कई बार किसी तरह की समस्या न होने पर भी इंफर्टिलिटी की समस्या देखी गई है। इसलिए फौरी सूचनाओं पर काम न करें, केवल विशेषज्ञ की बातों पर भरोसा करें। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है।
प्लानिंग से वर्क लाइफ बैलेंस करेंअच्छी नींद लें
infertility: तनाव की प्रमुख वजह है लाइफस्टाइल में बदलाव। अब युवाओं में स्मोकिंग एवं एल्कोहल लेने की प्रवृत्ति ज्यादा देखी जा सकती है। इसका असर प्रजनन क्षमता पर भी तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए स्मोकिंग एवं एल्कोहल से दूर रहें। स्वस्थ दिनचर्या को अपनाएं। नियमित एक्सरसाइज करें। वर्क प्रेशर या अन्य किसी तरह का प्रेशर न लें। नियमित सात से आठ घंटे की नींद अवश्य लें। यदि फिर अनिद्रा, ओवर थिंकिंग आदि की समस्या है तो मनोचिकित्सक से परामर्श लेने में संकोच न करें।
रोजाना 15-20 मिनट अपनों से बात करें
infertility: तनाव को दूर करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है अपनी रुचि के लिए समय निकालें। यह रुचि गार्डनिंग, किताबें पढ़ना, डांस करना, अध्यात्म आदि कुछ भी हो सकती है। जिन कामों को करने से आपको प्रसन्नता मिलती है, उनसे अच्छे हार्मोंस का स्तर बढ़ता है। इसके अलावा यह भी बहुत अहम है कि आप दिन में 15-20 मिनट का समय अपनों से बात करने के लिए निकालें। यदि आप व्यक्तिगत रूप से मिलकर बात नहीं कर सकते तो फोन पर बात करें। बात करने के लिए जरूरी नहीं है कि कोई विषय हो, हंसी-मजाक की बातें करने से भी तनाव को कम कर सकते हैं।