Thursday, October 24, 2024
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NCR में सस्ती शराब का क्या है पूरा सच

29 अप्रैल को जब पुलिस फरीदाबाद में चरण सिंह के घर में बने बेसमेंट में पहुंची तो उन्हें ब्लैक लेवल,  ग्लेनलिवेट, मैकलान और ग्रीडी एन्जिल्स जैसे ब्रैंड्स की व्हिस्की की खाली बोतलें मिलीं। ग्रीडी भारत में सबसे महंगी व्हिस्की है। उन्हें बोतल के ढक्कन, कॉर्क, कागज और विनाइल लेबल, बड़ी सीरिंज और कुछ भारतीय व्हिस्की की बोतलें भी मिलीं। फरीदाबाद और गुरुग्राम में कई दुकानों में शराब की बेहद कम कीमतों का रहस्य इससे जुड़ा हो सकता है। चरण सिंह 12 साल से अपने बेसमेंट में 'अवैध रीबॉटलिंग यूनिट' चला रहा था। वह सस्ती व्हिस्की को महंगे ब्रैंड्स की बोतल में भरता था, सील लगाता था और बंद करके फरीदाबाद में 18 स्टोर में बेचता था। इस खुलासे के बाद यह आशंका पैदा होगी कि आप जो महंगी बोतल खरीद रहे हैं क्या उसमें शराब भी महंगी वाली है? ग्राहक विश्वास करते हैं कि उन्होंने प्रीमियम क्वालिटी की शराब भारी डिस्काउंट पर खरीदी है, लेकिन यह हमेशा ठीक नहीं है। मसलन के तौर पर देखें, 750 एमएल की ब्लैक लेबल बोलत की कीमत रिटेल में करीब 3000 रुपए है, लेकिन कई ऑनलाइन विक्रेता और स्टोर में आपको यह 1800 रुपए तक में मिल जाता है। लेकिन फिर भी उन्हें एक बोतल पर 1000 रुपए से अधिक की बचत हो जाती है। कैसे? 

कितनी आती है लागत 
एक कारोबारी स्क्रैप डीलर से बोतल 300 रुपए में खरीदता है। वे इसे साफ करते हैं, नया लेवल लगाते हैं और नया ढक्कन भी। प्रत्येक पर करीब 50 रुपए का खर्च। फिर इसमें देसी व्हिस्की 350 रुपए की डालते हैं और सील लगा देते हैं। इस तरह एक बोतल पर कारोबारी को 750 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ग्राहक को इसे करीब 1800 रुपए में बेच दिया जाता है।

कहां-कहां ऐसा कारोबार
इस तरह का कारोबार पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में फैल गया है। ये फरीदाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली में शराब की दुकानों में पैठ बना रहे हैं। इसके पीछे स्क्रैप डीलरों, लेबल बनाने वालों, शराब की दुकानों के मालिकों, यहां तक ​​कि बार मैनेजर्स के पीछे मिलीभगत है। दिल्ली एक्साइज डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने दावा किया कि प्रीमियम शराब की बोतलों में सस्ती शराब डालने का चलन आम है, लेकिन आमतौर पर यह रेग्युलेटेड शराब बाजार (लाइसेंस प्राप्त खुदरा विक्रेताओं, लाइसेंस प्राप्त होटल, क्लब और रेस्तरां) के बाहर होता है।

गुरुग्राम के डीएसपी (क्राइम) विजय प्रताप सिंह ने कहा, ‘हमने कम से कम 50 ऐसी ईकाई का पता लगाया। ज्यादातर जब्त बोलतें प्रीमियम ब्रैंड्स की पाईं गईं, जिनमें चिवस रीगल, रेड लेबल, ग्लेनफिडिच, ग्लेनमोरंगी, ब्लैक लेवल, डबल ब्लैक और जैक डेनियल शामिल है।  

कंपनी का इनकार
जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल, रेड लेबल और डबल ब्लैक जैसे ब्रांड्स का उत्पादन करने वाली कंपनी डियाजियो इंडिया के एक अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि इस तरह के नकली उत्पाद बनाए गए और कहा कि ये त्योहारी सीजन से पहले फैलाई गई निराधार अफवाह है। लेकिन यह समझने के लिए आपके ड्रिंक में किस तरह मिलावट की जा रही है, हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस कारोबार से जुड़े कुछ लोगों से बातचीत की। हाल ही में 1.87 लाख रुपए में प्रीमियम शराब की 625 बोतलें बेचने वाले स्क्रैप डीलर,  एक क्लब मालिक, नाराज ग्राहकों, गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों, हरियाणा मुख्यमंत्री फ्लाइंग स्क्वॉवड के सदस्यों और आबकारी अधिकारियों से बातचीत की। 

स्क्रैप डीलर से समझें कहानी
भूमित यादव के पिता गुरुग्राम में एक स्क्रैप डीलर थे। 18 साल का होने के बाद उन्होंने भी उसी काम को संभाला, लेकिन कुछ बदलाव के साथ। वह अब इस अवैध रीबॉटलिंग ऑपरेशन में का अहम हिस्सा है। गुरुग्राम के चक्करपुर में गोल्फ कोर्स रोड से 6 किमी दूर अपने दफ्तर में बैठे भूमित ने कहा, ‘मेरे पिता जो दो साल में कमाते थे, मैं एक महीने में अर्जित करता हूं।’ हर दिन 50 कूड़ा बीनने वाले उन्हें शराब की खाली बोतलें बेचते हैं, जिनकी कीमत 5 रुपए से लेकर 600 रुपए तक होती है। 

यादव ने कहा कि ये लोग खाली बोतलों को गुरुग्राम म्यूनिसिपल मैटेरियल रिकवरी फैसलिटी (एमआरएफ), गोल्फ कोर्स रोड के खाली मैदाना, गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड, सेक्टर 29  और एमजी रोड के ऐसे स्थानों से उठाते हैं, जहां लोग शराब पीकर इन्हें फेंक देते हैं। बोलतों को मिलने के बाद वह इनकी तस्वीरें ट्रेडर्स को भेजते हैं और दिखाते हैं कि उनकी हालत कैसी है। भूमित ने कहा, ‘पिछले सप्ताह मैंने 625 बोतल 1.87 लाख रुपए में बेची। मुझे 10 हजार रुपए अडवांस मिले।’ भूमित ने बताया कि कभी वह प्रीमियम बोतलों को 10 रुपए में भी बेचता था। उन्होंने कहा, ‘मुझसे बोतल खरीदने वाले लोगों ने ही मुझे सस्ते और महंगे बोतल का फर्क समझाया।’

एमसीजी का क्या कहना है
गुरुग्राम म्यूनिसिपिल कॉर्पोरेशन (एमसीजी) के जॉइंट कमिश्नर नरेश कुमार ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि ऑथराइज्ड वेंडर्स और कूड़ा बीनने वालों ने उन्हें बताया कि रीबॉटलिंग के लिए महंगी शराब की बोतली की खरीद की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘शहर में हर दिन प्रीमियम ब्रैंड्स की 1000 से ज्यादा खाली बोतलें एकत्रित की जाती हैं और अधिकतर दोबारा सेल्फ तक पहुंचते हैं।’

सफाई और लेबलिंग के बाद बोतल तैयार
भूमित यादव को जब बोतलें मिलती हैं तो अधिकतम मौकों पर इनका लेबल फटा होता है या ढक्कन टूटा होता है। इसके बाद इसमें दूसरे चरण का काम होता है। इस अवैध करोबार से जुड़े शख्स ने एचटी को बताया कि बोतलों को साफ करके नए जैसा बनाया जाता है। नाम गोपनीय रखने की शर्त पर उसने कहा, ‘बोतलों को केमिकल से साफ किया जाता है। इसके बाद लेबल बनाने वाले आते हैं। एकदम असली जैसा दिखने वाला लेबल तैयार किया जाता है और फिर मशीनों के जरिए उन्हें चिपकाया जाता है।’ 

इस तरह भरते हैं शराब
एक बार बोतल तैयार हो जाने के बाद जानवरों को इंजेक्शन लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सीरिंज से सस्ती बोतलें से शराब निकाला जाता है और प्रीमियम बोतलों में डाला जाता है। गुरुग्राम पुलिस ने बताया कि संदिग्ध इस बोतलों को दोबारा सील करते हैं। यह गतिविधि गंदे तहखानों तक ही सीमित नहीं है। गुरुग्राम के कुछ क्लब भी ऐसा करते हैं।  

क्लब में भी होता है खेल, एक मालिक ने बताई वजह
पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर एक क्लब मालिक ने कहा, ‘सभी प्रीमियम शराब की बोतलों के मुंह पर एक प्लास्टिक उपकरण होता है। हम सावधानीपूर्वक सस्ती शराब को सीरिंज के जरिए बोतल में डालते हैं। इसमें समय लगता है और धैर्य की आवश्यकता होती है। लोग प्रति व्यक्ति 850 रुपए (नाइट पार्टी के लिए) का पैकेज चाहते हैं और स्कॉच पीना चाहते हैं। हमारे पास पैसा बनाने का यही रास्ता है।’ पुलिस कहती है कि नकली शराब बनाने वाले कुछ कारोबारी पहले बार में काम कर चुके हैं। 

सेक्टर 29 स्थित एक पब में शराब परोसने वाले एक शख्स ने कहा, ‘पहले दो पैग सही दिए जाते हैं। इसके बाद सस्ता वाला देते हैं। अनुभवी शराबियों के अलावा कोई अंतर महसूस नहीं कर सकता।’ चीफ मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वॉयड के एक सदस्य ने एचटी को बताया कि इन बोतलों को ऑनलाइन सेलर्स, बार, क्लब और शराब की दुकानों में बेचा जाता है।

शिकायत करने वाले ग्राहक ने क्या कहा
पिछले दो वर्षों में 50 से अधिक लोगों ने ऑनलाइन और शराब की दुकानों पर बेची जा रही नकली शराब के बारे में एक्साइज अधिकारियों से शिकायत की है। एक दशक तक सिंगापोर में रहने के बाद गुरुग्राम लौटे डीएलएफ फेज 3 निवासी दिलीप सिंह शिकायतकर्ताओं में से एक हैं। उन्होंने बताया, ‘मैंने गुरुग्राम की एक दुनकान से ब्लैक लेबल खरीदी और हैरान रह गया। इसका स्वाद बहुत भयानक था। मैं बता सकता था कि यह सही चीज नहीं है। इसके बाद मैंने शिकायत की।’

हमें नहीं मिली कोई शिकायत: डियाजियो इंडिया
हालाकि, डियाजियो इंडिया के अधिकारी ने कहा, ‘हम दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में इस तरह की अफवाहों (प्रीमियम ब्रैंड्स में मिश्रण) को देखकर काफी आश्चर्यचकित हैं। त्योहारी सीजन से पहले यह एक निराधार अफवाह लगती है। हमें उपभोक्ताओं से कोई शिकायत नहीं मिली है, न ही हमें नियमित परीक्षण में कोई नकली उत्पाद मिला है।’ अधिकारी ने कहा कि ट्रैक और ट्रैक सिस्टम के जरिए वह उत्पाद की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखते हैं। 

होती रही है कार्रवाई
पिछले 9 महीनों में गुरुग्राम पुलिस ने कई बार नकली शराब के खिलाफ छापेमारी की है। लेकिन हमेशा छोटी मछलियां ही जाल में फंसती हैं। जुलाई में सीएम फ्लाइंग स्क्वॉयड ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था जो सेक्टर 29 स्थित क्लब में रीफीलिंग कर रहे थे। दिल्ली एक्साइज डिपार्टमेंट के अधिकारी ने कहा कि इसी तरह राजधानी में भी छापेमारी की गई थी और छह महीने पहले एक गैंग का भंडाफोड़ हुआ था। अधिकारी ने कहा, ‘अब दिल्ली में गिरावट आई है और इस तरह का कारोबार हरियाणा की ओर शिफ्ट हो गया है। दिल्ली में छापेमारी के दौरान मिले अधिकतर बोतलों पर ‘फॉर सेल ओनली इन हरियाणा’ लिखा मिला है।’ 

पिछले साल दिल्ली के एक्साइज इंटेलिजेंस ब्यूरो ने अपनी कार्रवाई के तहत 479 केस दर्ज किए, 2819 लीटर विदेशी शराब, 30,520 लीटर भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) बरामद की। 483 लोगों को गिरफ्तार किया और 172 वाहन जब्त किए। गुरुग्राम एक्साइज अधिकारी ने बताया कि इस तरह के अवैध करोबार गुरुग्राम के बाहर बादशाहपुर, फर्रुखनगर, पटौदी और मानेसर में चल रहे हैं। 

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