रेप केस के आरोप में फंसे समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता गायत्री प्रजापति की जमानत के लिए करीब 10 करोड़ रुपये की रिश्वत का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि करोड़ों रुपये की हुई इस घूसखोरी में पॉस्को कोर्ट के जज ओपी मिश्रा और तीन वकील शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से मामले की जांच के आदेश दिए जाने के बाद जज दिलीप बी भोसले की रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक रिपोर्ट में बताया गया कि 10 करोड़ की डील में तीन वकीलों को 5 करोड़ और ओपी मिश्रा को 5 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
साथ ही ओपी मिश्रा के रिटायरमेंट से ठीक तीन हफ्ते पहले पॉस्को कोर्ट का जज नियुक्त किया जाना भी सवालों के घेरे में है। 7 अप्रैल को उनके जज बनने के बाद प्रजापति को 25 अप्रैल को जमानत मिल गई। रिपोर्ट के मुताबिक जज और तीनों वकीलों की मीटिंग भी कई बार हुई, जिसके बाद प्रजापति को जमानत दे दी गई।
साथ ही ओपी मिश्रा के रिटायरमेंट से ठीक तीन हफ्ते पहले पॉस्को कोर्ट का जज नियुक्त किया जाना भी सवालों के घेरे में है। 7 अप्रैल को उनके जज बनने के बाद प्रजापति को 25 अप्रैल को जमानत मिल गई। रिपोर्ट के मुताबिक जज और तीनों वकीलों की मीटिंग भी कई बार हुई, जिसके बाद प्रजापति को जमानत दे दी गई।
बता दें कि मामले में रिश्वत का शक और बढ़ गया जब मामले की लंबे समय से सुनवाई कर रहे जज को हटाकर ओपी मिश्रा को उस जगह लाया गया। रिपोर्ट की माने तो लक्ष्मी कांत राठौड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे, लेकिन उनकी जगह 7 अप्रैल को ओपी मिश्रा को मामले की सुनवाई के लिए लाया गया, जबकि वो कुछ समय बाद रिटायर होने वाले थे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद प्रजापति के खिलाफ यूपी पुलिस ने 17 फरवरी को एफआईआर दर्ज की। प्रजापति ने गिरफ्तार होने के बाद 15 मार्च को बेल की अपील की और उन्हें 24 अप्रैल को पॉस्को कोर्ट ने जमानत दे दी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद प्रजापति के खिलाफ यूपी पुलिस ने 17 फरवरी को एफआईआर दर्ज की। प्रजापति ने गिरफ्तार होने के बाद 15 मार्च को बेल की अपील की और उन्हें 24 अप्रैल को पॉस्को कोर्ट ने जमानत दे दी।