नई दिल्ली. राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर शुक्रवार को राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। 10 जनपथ पर इन नेताओं के बीच करीब 30 मिनट चर्चा हुई। कांग्रेस ने कहा, “बीजेपी की तरफ से कोई नाम नहीं आया। जब तक नाम नहीं आता, चर्चा का सवाल ही पैदा नहीं होता।” बीजेपी के दोनों नेता इसके बाद सीपीएम के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी से भी मिले। येचुरी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार को सपोर्ट करने के लिए एक शर्त रखी कि जिसे भी कैंडिडेट बनाएं, वह सेकुलर सोच वाला होना चाहिए। बाद में राजनाथ-वेंकैया लालकृष्ण आडवाणी से भी मिलने पहुंचे। उधर, शिवसेना ने एमएस स्वामीनाथन का नाम आगे किया है। बता दें कि प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए नॉमिनेशन की प्रॉसेस 28 जून तक चलेगी, स्क्रूटनी 29 जून को होगी। जरूरी हुआ तो 17 जुलाई को प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए वोटिंग होगी और फिर 20 जुलाई को काउंटिंग की जाएगी।
1. लालकृष्ण आडवाणी (एनडीए)
कई महीनों से नाम चर्चा में है। बाबरी केस चलने के बावजूद नॉमिनेशन फाइल कर सकते हैं, क्योंकि वे फिलहाल सिर्फ आरोपी हैं। शत्रुघ्न सिन्हा जैसे नेता आडवाणी को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं।
2. ई श्रीधरन (एनडीए)मेट्रोमैन के नाम से मशहूर हैं। दिल्ली में मेट्रो चलाने का सपना इन्हीं की वजह से पूरा हुआ था। उद्घाटन वाजपेयी सरकार के दौरान हुआ था। कोच्चि मेट्रो के इनॉगरेशन प्रोग्राम में जब मंच पर मोदी के साथ बैठने वालों में इनका नाम नहीं आया, तब से कयास लगाए जाने लगे कि संभावित उम्मीदवार से दूरी बनाए रखने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
3. सुषमा स्वराज (एनडीए)आडवाणी की ही तरह इनका नाम भी लंबे से चर्चा में है। भारतीयों को मदद पहुंचाने के मामले में एक्टिवनेस के चलते मोदी सरकार में सबसे पॉपुलर मंत्री मानी जाती हैं।
4. सुमित्रा महाजन (एनडीए)सबसे सीनियर महिला सांसद हैं। आठ बार से इंदौर से चुनाव जीत रही हैं। 2014 के चुनाव के बाद इन्हें लोकसभा स्पीकर बनाया गया। मीरा कुमार के बाद वे लोकसभा स्पीकर बनने वाली दूसरी महिला हैं। आडवाणी-सुषमा के दौड़ से बाहर होने की स्थिति में उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
5. गोपालकृष्ण गांधी (यूपीए)महात्मा गांधी के पोते हैं। आईएएस रहे हैं। जब वे बंगाल के गर्वनर थे तो अपनी सादगी और बेबाकी के लिए मशहूर थे। यूपीए उन्हें उम्मीदवार बना सकता है।
6. एमएस स्वामीनाथन (शिवसेना)स्वामीनाथन भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाते है। शिवसेना का कहना है कि अगर बीजेपी भागवत को राष्ट्रपति नहीं बनाती तो ऐसी स्थिति में स्वामीनाथन पर विचार किया जा सकता है।