1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में दोषियों की सजा पर मंगलवार तक टल गई। 24 साल बाद शुक्रवार को टाडा कोर्ट ने गैंगस्टर अबु सलेम समेत 6 आरोपियों को दोषी करार दिया था। वहीं, एक आरोपी अब्दुल कयूम को बरी कर दिया था। सीबीआई की ओर से वकील दीपक साल्वी ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। सभी पर हत्या, आपराधिक साजिश और देश के खिलाफ जंग छेड़ने जैसे आरोप थे। हालांकि, देश के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप कोर्ट ने खारिज कर दिया। बता दें कि 12 मार्च, 1993 को मुंबई में दो घंटे के भीतर सिलसिलेवार 12 धमाके हुए थे। इनमें 257 लोगों की मौत हुई, 713 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे।
टाडा कोर्ट ने डिफेंस के वकील अब्दुल वहाब खान द्वारा तीन गवाहों के बयान दोबारा दर्ज करने की अर्जी को स्वीकार कर लिया है।
खान ने अपने मुवक्किल फिरोज खान को दोषी करार दिए जाने के बाद 3 गवाहों को फिर एक्जामिन करने की अर्जी दी थी। फिरोज अब्दुल राशिद खान को दुबई में हुई मीटिंग में शामिल होने, हथियार और एक्सप्लोसिव लाने में मदद करने दोषी करार दिया गया है।
– कोर्ट के फैसले के मुताबिक, सलेम जनवरी 1993 में गुजरात के भरूच गया था। उसके साथ दाऊद गैंग का एक और गुर्गा था। उसे हथियार, एक्सप्लोसिव्स और गोला-बारूद लाने के लिए भेजा गया था। सलेम को वहां 9 एके-56, 100 हैंड ग्रेनेड और गोलियां दी गईं। सलेम एक वैन में यह सामान छुपाकर मुंबई लाया था।
– वैन रियाज सिद्दीकी ने मुहैया कराई थी। ये वैन सीधे संजय दत्त के घर पर गई थी। 16 जनवरी 1993 को सलेम दो और लोगों के साथ मिलकर संजय दत्त के घर 2 एके-56 राइफलें और 250 गोलियां छोड़कर आया था। दो दिन बाद उसने यह हथियार वहां से उठा लिए थे। सलेम को हमले के लिए गुजरात से हथियार मुंबई लाने-बांटने, साजिश रचने और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने का दोषी पाया गया था।
– अबु सलेम ने खुद को पुर्तगाल वापस भेजने के लिये यूरोपियन यूनियन (ईयू) कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
– बता दें कि, सलेम को भारत में मुकदमे का सामना करने के लिये पुर्तगाल से एक्स्ट्राडाइट किया गया था।
– सलेम की वकील सबा कुरैशी ने बताया, “हमने यूरोपियन मानवाधिकार कोर्ट (ईसीएचआर) में अपील की है। हमने उनसे सलेम को वापस पुर्तगाल बुलाने की मांग की है, क्योंकि उसके एक्स्ट्राडीशन ऑर्डर में कई वॉयलेशन हुए हैं।”
– सबा ने बताया कि पुर्तगाल कोर्ट के एक्स्ट्राडीशन ऑर्डर में यह शर्त थी कि सलेम को मौत की सजा नहीं सुनाई जाएगी, लेकिन उसके खिलाफ उन आरोपों को लेकर मुकदमा चलाया गया, जिसमें मौत की सजा का प्रोविजन है। इस कारण यह पूरा मुकदमा अवैध हो गया है।