दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ कश्मीर को लेकर विवादित टिप्पणी करने के आरोप में साल 2010 में दर्ज एफआईआर में मुकदमा चलाने की आज मंजूरी दे दी। मामले में दो अन्य आरोपी सैयद अली शाह गिलानी और दिल्ली विश्वविद्यालय के व्याख्याता सैयद अब्दुल रहमान गिलानी की मामले की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. हुसैन के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में एक सार्वजनिक समारोह में उनके भाषणों के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 153बी और 505 के तहत अपराध करने का प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
मामले में आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) के तहत मंजूरी नहीं दी गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में निर्देश दिया है कि राजद्रोह मामले पर संविधान पीठ का फैसला आने तक आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) के तहत तय किए गए आरोप के संबंध में सभी लंबित मुकदमे, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाएगा। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मद्देनजर कहा कि आईपीसी की धारा 124ए के तहत अपराध के लिए अभियोजन मंजूरी देने के अनुरोध पर फिलहाल फैसला नहीं लिया जा सका है।
कश्मीर के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित ने 28 अक्टूबर, 2010 को ‘राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए समिति’ (सीआरपीपी) के बैनर तले 21 अक्टूबर 2010 को “आज़ादी -एकमात्र रास्ता” विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में सार्वजनिक रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए कार्यक्रम में शामिल विभिन्न व्यक्तियों और वक्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।